पूर्णा इस फिल्म की जान है |
दर्शोकों मझे तो ये फिल्म की कहानी कुछ ज्यादा खास नहीं लगी लेकिन है 1 बार देखने लायक मूवी है
इस फिल्म में बताया गया है की जिस प्रकार गाँव में 13-14 तक तो बच्चो की पढ़ाई कराते है परन्तु जैसे ही इनकी उम्र 13 से ज्यादा हुई तो , लड़को को खेत में और लड़कीओ की शादी कर उनकी पढ़ाई छुड़वा दी जाती |
इस फिल्म में राहुल बोस १ सोशल वेलफेयर का चार्ज लेते है और स्कूल में जा कर खाने की क्वालिटी बढ़वाते है फिर जा कर , ये सोचते है की कौन सा रास्ता निकला जाए ताकि बच्चो के माता पिता बच्चो को स्कूल में पढ़ने दे |
तो १ छात्र आनंद और १ छात्रा पूर्णा जिनमे रॉक क्लाइम्बिंग याने पहाड़ चढ़ने की खूबी होती है उन्हें चयनित करके माउंट एवेरेस्ट पर चढ़ाने का फैसला करते है |
उसी समय एवेरेस्ट पर अवालांचे आ जाता है , तो भारत देश के सारे नेता उन्हें वापिस बुलाने के लिए बोलते है किन्तु वो दोनों वापिस न आ कर ऊपर चढ़ने का फैसला करता है |
और सबसे छोटी उम्र में एवेरेस्ट पर चढ़ने वाले बच्चे बन जाते है
दर्शोकों मझे तो ये फिल्म की कहानी कुछ ज्यादा खास नहीं लगी लेकिन है 1 बार देखने लायक मूवी है
इस फिल्म में बताया गया है की जिस प्रकार गाँव में 13-14 तक तो बच्चो की पढ़ाई कराते है परन्तु जैसे ही इनकी उम्र 13 से ज्यादा हुई तो , लड़को को खेत में और लड़कीओ की शादी कर उनकी पढ़ाई छुड़वा दी जाती |
इस फिल्म में राहुल बोस १ सोशल वेलफेयर का चार्ज लेते है और स्कूल में जा कर खाने की क्वालिटी बढ़वाते है फिर जा कर , ये सोचते है की कौन सा रास्ता निकला जाए ताकि बच्चो के माता पिता बच्चो को स्कूल में पढ़ने दे |
तो १ छात्र आनंद और १ छात्रा पूर्णा जिनमे रॉक क्लाइम्बिंग याने पहाड़ चढ़ने की खूबी होती है उन्हें चयनित करके माउंट एवेरेस्ट पर चढ़ाने का फैसला करते है |
उसी समय एवेरेस्ट पर अवालांचे आ जाता है , तो भारत देश के सारे नेता उन्हें वापिस बुलाने के लिए बोलते है किन्तु वो दोनों वापिस न आ कर ऊपर चढ़ने का फैसला करता है |
और सबसे छोटी उम्र में एवेरेस्ट पर चढ़ने वाले बच्चे बन जाते है
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